भिन्ने उठिऐ, दिन भर खटिऐ
पर पेट ई भूखक खान, कि आहो राम
कुरसी हइ बइमान, पेट नइ भरलक हो…
जे–जे आबइ, हमरे गाबइ
किसिम–किसिम के रंग देखाबइ
ई रंगे झिकइ परान, कि आहो राम
कुरसी हइ बइमान, पेट नइ भरलक हो…
कुरसी के जे हइक बिनावट
दिन–दिन तइ मे होलै गिरावट
ई साफे भेल अकान, कि आहो राम
कुरसी हइ बइमान, पेट नइ भरलक हो…
ब्रत सेवा के, जे-जे लेलन
तक्कर मेवा अपने चभलन
ई जन–मन छेदइ बान, कि आहो राम
कुरसी हइ बइमान, पेट नइ भरलक हो…
लागइ मोसिम बदलत सत्ते
उम्मस भगतइ लत्ते–फत्ते
ई सपना करइ हरान, कि आहो राम
कुरसी हइ बइमान, पेट नइ भरलक हो…
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३० आश्विन २०७९, आईतवार २२:४९